शुक्रवार 21 नवंबर 2025 - 16:52
मकतबे फातेमी तमाम इलाही तहरीफो की बुनयाद हैंः आयतुल्लाह सईदी

हौज़ा / आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद सईदी ने आज जुमआ की नमाज़ के दौरान हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के शहादत के दिनों में शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास की सभी बड़ी ईश्वरीय आंदोलनें मकतब-ए-फातिमी की शिक्षा, मार्गदर्शन और बौद्धिक व्यवस्था पर आधारित हैं। महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भी अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध की शिक्षा क़याम-ए-हुसैनी से ली, और यह वास्तव में क़याम-ए-फातिमी की निरंतरता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , क़ुम अलमुकद्दस के जुमआ के खतीब आयतुल्लाह सैय्यद मोहम्मद सईदी ने आज जुमे की नमाज़ के दौरान हज़रत फातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के दिनों में शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास की सभी बड़ी ईश्वरीय आंदोलनें मकतब-ए-फातिमी की शिक्षा, मार्गदर्शन और बौद्धिक व्यवस्था पर आधारित हैं।

महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भी अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध की शिक्षा क़याम-ए-हुसैनी से ली, और यह वास्तव में क़याम-ए-फातिमी की निरंतरता है।

उन्होंने कहा कि सिद्दीका-ए-कुबरा सलामुल्लाह अलैहा की सही पहचान, धार्मिक ज्ञान के संरक्षण और राष्ट्र की जागृति के लिए मूल आधार है।

आयतुल्लाह सईदी ने मासूमीन अलैहिमुस सलाम की रिवायतों के प्रकाश में बताया कि हज़रत फातिमा सलामुल्लाह अलैहा न केवल ऐतिहासिक परिवर्तनों का केंद्र हैं, बल्कि उनकी शिक्षा ने क़याम-ए-आशूरा के गठन में मूलभूत भूमिका निभाई।

उनके अनुसार इमाम हुसैन अलैहिसस्लाम और हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा मकतब-ए-फातिमी के शिक्षा-प्राप्त थे और इसी शिक्षा ने करबला को जन्म दिया, जिसने बाद में स्वतंत्रता की अनेक आंदोलनों को प्रभावित किया।

उन्होंने रिवायतों का हवाला देते हुए हज़रत ज़हेरा सलामुल्लाह अलैहा के उच्च स्थान को बताया और कहा कि इमाम हसन अल अस्करी अ.स.के अनुसार हज़रत फातिमा ज़हेरा सलामुल्लाह अलैहा सभी ईश्वरीय प्रमाणों पर अल्लाह की हुज्जत हैं, जिससे ज्ञात होता है कि इमामों का समस्त मार्गदर्शन इसी नूर-ए-फातिमी से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने आगे कहा कि इमाम जमाना स.ल. ने भी हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को अस्र-ए-ग़ैबत  और अस्र-ए-ज़ुहूर के लिए एक संपूर्ण आदर्श बताया है।

आयतुल्लाह सईदी ने मकतब-ए-फातिमी के दो प्रमुख पहलुओं की व्याख्या की: पहला आंतरिक और आध्यात्मिक शक्ति जो ईश्वरीय प्रकृति से जुड़ी है और अजेय है, और दूसरा स्नेह और दया जो हज़रत फातिमा सलामुल्लाह अलैहा के व्यावहारिक जीवन में प्रकट है और समाज की नैतिक नींव का निर्माण करता है।

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